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तेरा रूप

तेरा रूप!!
प्रेम समर्पण सार्थक विश्वास है!
इंसानियत का मूल दिल का सुकून है!!
नज़दीकियों का आभास!
घनिष्ठ रिश्ते का अहसास है!
पवित्र-पावन भाव मोक्ष का परिष्कार है!!
आत्म-परमात्म से एकाकार!
ईश्वर से साक्षात्कार खुदागाह में सजदा है!!
रूह से निकलती आह!
वेदना की अनुभूति जहां का दर्द है!!
गमज़दा चेहरे की मुस्कान!
परमानन्द की पराकाष्ठा है!!
प्राणियों की करुणा, दया, राग!
जीवन का विराग है!!
आँखों से छलकता दर्द!
विरह का चरमोत्कर्ष है!!
प्रेयसी की असीम चाह!
प्रियतम का इंतजार है!!
प्रेम दुनिया से विरक्ति!
वीतराग की इंतहा आदि एवं अंत है!!
ब्रह्माण्ड में समाहित ब्रह्माण्ड का सार है!!!

स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान) 

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4 Comments

Mohammed urooj khan

13-Feb-2024 11:44 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Ansari prins

11-Feb-2024 07:30 AM

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

11-Feb-2024 12:03 AM

👏👌

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